आदर्श वेदाध्यापक
यह पुरस्कार वेदों के उन वेदाध्यापक को प्रदान किया जाता है जिन्होनें वेदों के अध्यापन में समर्पण और प्रतिबद्धता का आदर्श प्रस्तुत किया हैं।
इस पुरस्कार के अन्तर्गत एक प्रमाण-पत्र, पदक और ₹ ५,००,००० की नकद राशि प्रदान जाती है।
इस पुरस्कार के योग्य होने के लिये आपको निम्नलिखित सभी पात्रताएँ पूरी करना आवश्यक हैः
- वर्तमान में आप किसी योग्य वेदविद्यालय में वेदाध्यापक हैं या कुमाराध्यापक/एकमात्र अध्यापक हैं और स्वयं का गुरुकुल चला रहे हैं।
- पूर्ण रूप से वेदों के अध्यापन और प्रसार के लिये समर्पित हैं।
- आपने न्यूनतम “स्तर-2” की योग्यताएँ प्राप्त कर ली हों (कृपया “आवेदन कैसे करें” की तालिका देखें)।
- कम से कम 10 साल से पूर्णकालिक वेदों के अध्यापन में हैं।
- आपक आयु 1 अगस्त 2025 को 65 वष से अधक न हो।
- यदि किसी योग्य विद्यालय में पढ़ा रहे हैं तो आपके कम से कम 5 छात्र होने चाहिए; यदि एक अध्यापक के गुरुकुल में या कुमाराध्यापक हैं तो कम से कम 3 छात्र होने चाहिए।
- आपने विगत तीन वर्षों में भारतात्मा आदर्श वेदाध्यापक पुरस्कार नहीं जीता है।
भारतात्मा पुरस्कार में आवेदन की अन्तिम दिनाङ्क ३१ अगस्त २०२५ है। इस दिनाङ्क के पश्चात् प्राप्त आवेदनों पर २०२५ के पुरस्कारों के लिये विचार नहीं किया जाएगा।
आवेदन पूर्व यह सुनिश्चित करें कि आपने आवेदन सम्बन्धित सभी योग्यताओं और मापदण्डों को ध्यानपूर्वक पढ़कर समझ लिया है।
यह सुनिश्चित करें कि योग्यता मापदण्डों को पूरा करने के लिए आपने अपने दस्तावेज/प्रमाणपत्र/ अंकतालिकाएँ साक्ष्य के तौर पर संलग्न कर दिए हैं।
भारतात्मा पुरस्कार की उत्कृष्ट वेदविद्यार्थी, आदर्श वेदाध्यापक और उत्तम वेदविद्यालय की श्रेणियों हेतु हमारी वेबसाइट पर प्रदान किये गए लिङ्क भारतात्मा पुरस्कार के अन्तर्जालीय आवेदन के लिए आप हमारी वेबसाइट www.bharatatmapuraskar.org के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते है।
ऑनलाइन पटल पर सर्वप्रथम आवेदक पञ्जीयन करे तथा आवेदन भरने से पूर्व दिये गये दिशानिर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर समझे।
पञ्जीकरण के बाद “आवेदन भाग – १” को नियत दिनाङ्क के दस दिन पूर्व ही भर कर जमा करें।
“आवेदन भाग – १” स्वीकृत हो जाने पर नियत दिनाङ्क के पूर्व “आवेदन भाग – २” भरे।
नियत दिनाङ्क के पश्चात् प्राप्त आवेदनों को इस वर्ष की चयन प्रक्रिया में सम्मिलित नहीं किया जायेगा।
पात्र वेदाध्यापकों की आदर्शता का मूल्याङ्कन स्वयं और वेदविद्यार्थियों की वेदविद्या में उत्कृष्टता व निम्न मापदण्डों के आधार पर होगाः
- स्तर-२ के अतिरिक्त शैक्षिक योग्यताएँ और श्रेष्ठता जैसे स्वशाखा में षडङ्ग, भाष्य, लक्षण की योग्यताएँ और अन्य वेदशाखाओं का अध्ययन अथवा असाधारण वैदिक ज्ञान।
- आपके के पूर्व और वर्तमान विद्यार्थियों द्वारा शिक्षा में अर्जित श्रेष्ठता।
- उन विद्यार्थियों की श्रेष्ठता जिन्होंने प्राथमिक वैदिक अध्ययन व योग्यताओं के बाद भी वैदिक शिक्षा के अध्ययन में निरन्तरता रखी।
- पूर्णकालिक अध्यापन के लिए प्रेरित किये गए वेदविद्यार्थियों की सङ्ख्या।
- वैदिक परम्पराओं के अनुसार जीवन आचरण।
जब आप पुरस्कार के लिये आवेदन करें तो यह सुनिश्चित करें कि आपने योग्यता मानदण्डों को पूरा करने के लिए आवश्यक सभी अभिलेख साक्ष्य के तौर पर प्रस्तुत कर दिए हैं।
सिंघल फाउण्डेशन प्रत्येक श्रेणी के विजेता चुनने के लिए एक उच्च गुणवत्ता युक्त, निष्पक्ष और गोपनीय चयन प्रक्रिया अपनाती है।
विजेताओं का निर्णय तीन चरणों की प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है।
- प्रथम चरण में प्राथमिक स्तर आवेदनों की योग्यता और मापदण्डों के आधार पर समीक्षा की जाती है तथा योग्य आवेदनपत्रों को चुना जाता है।
- द्वितीय चरण में वेदविशेषज्ञों की एक अनुशंसा समिति होती है। यह समिति समीक्षा किए गए आवेदनों (वेदविद्यार्थियों, वेदाध्यापकों और वेदविद्यालयों की पहचान को अज्ञात) की समीक्षा करती है तथा सम्भावित विजेताओं की छंटनी कर एक सूची बनाती है। यह छंटनी आवेदकों द्वारा आवेदनपत्र में प्रदत्त जानकारियों के आधार पर की जाती है। अतः आवेदनपत्र का पूरा और सही भरा जाना अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
- इसके पश्चात् तृतीय चरण में वेदविशेषज्ञों की एक अन्य वरिष्ठ निर्णायक समिति (जूरी) बनाई जाती है। इस समिति में सभी वेदों के प्रतिष्ठित विशेषज्ञ होते हैं। अनुशंसा समिति द्वारा बनाई गई सम्भावित विजेताओं की सूची पर इस वरिष्ठ समिति द्वारा विचार किया जाता है। विजेताओं पर अपना अन्तिम निर्णय लेने से पूर्व वरिष्ठ निर्णायक समिति (जूरी) चयनित वेदविद्यालयों का निरिक्षण करती है तथा चयनित वेदाध्यापकों और वेदविद्यार्थियों से साक्षात्कार करती है।
भारतात्मा पुरस्कार के विजेताऔं के नामों की घोषणा पुरस्कार वितरण के समय ही की जाती है, तब तक विजेताओं के नामों को गोपनीय रखा जाता है।