उत्तम वेदविद्यालय
यह पुरस्कार उस उत्तम वेदविद्यालय को प्रदान किया जाता है, जिसने वेदों को सिखाने में सर्वाधिक योगदान प्रदान किया है।
इस पुरस्कार के अन्तर्गत एक प्रमाण पत्र, वैजयन्ती और ₹ ७,००,००० की नकद राशि प्रदान की जाती है।
इस पुरस्कार के योग्य होने के लिये वेदविद्यालय को निम्नलिखित सभी पात्रताएँ पूरी करना आवश्यक हैः
- वेदविद्यालय जिन्हें केन्द्र या राज्य सरकार या धर्मार्थ न्यास या मन्दिर न्यास से निधि प्राप्त हो रही हो, या गुरुकुल जिसे निजी रूप से एक अध्यापक द्वारा पोषित किया जा रहा हो।
- वेदविद्यालय सनातन श्रुति परम्परानुसार वेदाध्यापन के लिए समर्पित हो।
- वेदविद्यालय निरन्तर २० वर्षों से सक्रिय हो।
- यदि वेदविद्यालय को सरकार या ट्रस्ट से अनुदान प्राप्त हो रहा है तो वेदविद्यालय में न्यूनतम १ वेदाध्यापक और ५ वेदविद्यार्थी होने आवश्यक हैं; यदि एक वेदाध्यापक अथवा कुमाराध्यापक द्वारा चालित वेदविद्यालय है तो न्यूनतम ३ वेदविद्यार्थी होने आवश्यक हैं।
- वेदविद्यालय ने विगत पाँच वर्षों में भारतात्मा उत्तम वेदविद्यालय पुरस्कार प्राप्त नहीं किया हो।
भारतात्मा पुरस्कार में आवेदन की अन्तिम दिनाङ्क ३१ अगस्त २०२५ है। इस दिनाङ्क के पश्चात् प्राप्त आवेदनों पर २०२५ के पुरस्कारों के लिये विचार नहीं किया जाएगा।
आवेदन पूर्व यह सुनिश्चित करें कि आपने आवेदन सम्बन्धित सभी योग्यताओं और मापदण्डों को ध्यानपूर्वक पढ़कर समझ लिया है।
यह सुनिश्चित करें कि योग्यता मापदण्डों को पूरा करने के लिए आपने अपने दस्तावेज/प्रमाणपत्र/ अंकतालिकाएँ साक्ष्य के तौर पर संलग्न कर दिए हैं।
भारतात्मा पुरस्कार की उत्कृष्ट वेदविद्यार्थी, आदर्श वेदाध्यापक और उत्तम वेदविद्यालय की श्रेणियों हेतु हमारी वेबसाइट पर प्रदान किये गए लिङ्क भारतात्मा पुरस्कार के अन्तर्जालीय आवेदन के लिए आप हमारी वेबसाइट www.bharatatmapuraskar.org के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते है।
ऑनलाइन पटल पर सर्वप्रथम आवेदक पञ्जीयन करे तथा आवेदन भरने से पूर्व दिये गये दिशानिर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर समझे।
पञ्जीकरण के बाद “आवेदन भाग – १” को नियत दिनाङ्क के दस दिन पूर्व ही भर कर जमा करें।
“आवेदन भाग – १” स्वीकृत हो जाने पर नियत दिनाङ्क के पूर्व “आवेदन भाग – २” भरे।
नियत दिनाङ्क के पश्चात् प्राप्त आवेदनों को इस वर्ष की चयन प्रक्रिया में सम्मिलित नहीं किया जायेगा।
पात्र वेदविद्यालयों का मूल्यांकन निम्न मापदण्डों के आधार पर होगाः
- वेदविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा अर्जित की गई शैक्षिक श्रेष्ठता
- वेदविद्यालय के अध्यापकों की योग्यताएँ और अनुभव
- प्रदान की गई वैदिक शिक्षा (मूलांत से लक्षण/भाष्य इत्यादि) की गहनता
- वेदविद्यालय द्वारा बनाए गए वेदाध्यापकों की गुणवत्ता और सङ्ख्या
- दी गई वैदिक शिक्षा का विस्तार (एक से अधिक वेद) और गहराई (उन्नत या असाधारण वेदशास्त्र)
यह सुनिश्चित करें कि आपने योग्यता मानदण्डों को पूरा करने के लिए आवश्यक सभी दस्तावेज साक्ष्य के तौर पर प्रस्तुत कर दिए हैं।
सिंघल फाउण्डेशन प्रत्येक श्रेणी के विजेता चुनने के लिए एक उच्च गुणवत्ता युक्त, निष्पक्ष और गोपनीय चयन प्रक्रिया अपनाती है।
विजेताओं का निर्णय तीन चरणों की प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है।
- प्रथम चरण में प्राथमिक स्तर आवेदनों की योग्यता और मापदण्डों के आधार पर समीक्षा की जाती है तथा योग्य आवेदनपत्रों को चुना जाता है।
- द्वितीय चरण में वेदविशेषज्ञों की एक अनुशंसा समिति होती है। यह समिति समीक्षा किए गए आवेदनों (वेदविद्यार्थियों, वेदाध्यापकों और वेदविद्यालयों की पहचान को अज्ञात) की समीक्षा करती है तथा सम्भावित विजेताओं की छंटनी कर एक सूची बनाती है। यह छंटनी आवेदकों द्वारा आवेदनपत्र में प्रदत्त जानकारियों के आधार पर की जाती है। अतः आवेदनपत्र का पूरा और सही भरा जाना अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
- इसके पश्चात् तृतीय चरण में वेदविशेषज्ञों की एक अन्य वरिष्ठ निर्णायक समिति (जूरी) बनाई जाती है। इस समिति में सभी वेदों के प्रतिष्ठित विशेषज्ञ होते हैं। अनुशंसा समिति द्वारा बनाई गई सम्भावित विजेताओं की सूची पर इस वरिष्ठ समिति द्वारा विचार किया जाता है। विजेताओं पर अपना अन्तिम निर्णय लेने से पूर्व वरिष्ठ निर्णायक समिति (जूरी) चयनित वेदविद्यालयों का निरिक्षण करती है तथा चयनित वेदाध्यापकों और वेदविद्यार्थियों से साक्षात्कार करती है।
भारतात्मा पुरस्कार के विजेताऔं के नामों की घोषणा पुरस्कार वितरण के समय ही की जाती है, तब तक विजेताओं के नामों को गोपनीय रखा जाता है।