उत्कृष्ट वेदविद्यार्थी

यह पुरस्कार उस उत्कृष्ट वेदविद्यार्थी को प्रदान किया जाता है, जिसने वेदों के अध्ययन में उत्कृष्टता प्रस्तुत की है।

पुरस्कार के अन्तर्गत एक प्रमाण-पत्र, पदक और ₹ ३,००,००० की नकद राशि प्रदान की जाती है।

इस पुरस्कार के योग्य होने के लिए आपको निम्नलिखित सभी पात्रताएँ पूरी करना आवश्यक हैः

  • आपको ३१ दिसंबर २०२४ तक या वर्तमान में श्रुति परंपरा में एक योग्य वेदविद्यालय अथवा वेदाध्यापक का पूर्णकालिक वेदविद्यार्थी होना आवश्यक है।
  • यदि आप श्रुति परम्परा के अनुसार वेदाध्ययन करने के उपरान्त वैदिक साहित्य आदि का अध्ययन कर रहें हैं और आजीविका के लिए किसी अन्य गतिविधि में संलग्न नहीं हैं, तो आप आवेदन करने के पात्र हैं।
  • वेदाध्ययन में मूलान्त से लेकर आपकी वर्तमान वैदिक योग्यतास्तर तक के स्पष्ट और प्रमाण योग्य अभिलेख (रिकॉर्ड) उपलब्ध हैं।
  • आपने “स्तर-१” की न्यूनतम योग्यताएँ प्राप्त कर ली हों।
  • आपने विगत तीन वर्षों में भारतात्मा उत्कृष्ट वेदविद्यार्थी पुरस्कार प्राप्त नहीं किया है।

जब आप पुरस्कार के लिये आवेदन करें तो यह सुनिश्चित करें कि आपने योग्यता मानदण्डों को पूरा करने के लिए आवश्यक सभी अभिलेख साक्ष्य के तौर पर प्रस्तुत कर दिए हैं।

भारतात्मा पुरस्कार में आवेदन की अन्तिम दिनाङ्क ३१ अगस्त २०२५ है। इस दिनाङ्क के पश्चात् प्राप्त आवेदनों पर २०२५ के पुरस्कारों के लिये विचार नहीं किया जाएगा।

आवेदन पूर्व यह सुनिश्चित करें कि आपने आवेदन सम्बन्धित सभी योग्यताओं और मापदण्डों को ध्यानपूर्वक पढ़कर समझ लिया है।

यह सुनिश्चित करें कि योग्यता मापदण्डों को पूरा करने के लिए आपने अपने दस्तावेज/प्रमाणपत्र/ अंकतालिकाएँ साक्ष्य के तौर पर संलग्न कर दिए हैं।

भारतात्मा पुरस्कार की उत्कृष्ट वेदविद्यार्थी, आदर्श वेदाध्यापक और उत्तम वेदविद्यालय की श्रेणियों हेतु हमारी वेबसाइट पर प्रदान किये गए लिङ्क भारतात्मा पुरस्कार के अन्तर्जालीय आवेदन के लिए आप हमारी वेबसाइट www.bharatatmapuraskar.org के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते है।

ऑनलाइन पटल पर सर्वप्रथम आवेदक पञ्जीयन करे तथा आवेदन भरने से पूर्व दिये गये दिशानिर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर समझे।

पञ्जीकरण के बाद “आवेदन भाग – १” को नियत दिनाङ्क के दस दिन पूर्व ही भर कर जमा करें।

“आवेदन भाग – १” स्वीकृत हो जाने पर नियत दिनाङ्क के पूर्व “आवेदन भाग – २” भरे।

नियत दिनाङ्क के पश्चात् प्राप्त आवेदनों को इस वर्ष की चयन प्रक्रिया में सम्मिलित नहीं किया जायेगा।

पात्र वेदविद्यार्थियों की उत्कृष्टता का मूल्याङ्कन निम्न आधार पर किया जाएगाः

  • वेदाध्ययन में उत्कृष्टता जो वैदिक शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शैक्षिक उपलब्धियों द्वारा प्रमाणित हुई है।
  • वैदिक शिक्षा में निरन्तरता।
  • पढ़े गए वेद के पारम्परिक पाठ में प्रवाह।
  • शिक्षा के अन्य क्षेत्रों में रुचि का स्तर।
  • वैदिक परम्पराओं के अनुसार जीवन आचरण।
  • स्ववेदशाखा या वेदग्रन्थों के अतिरिक्त वेदशाखाओं व ग्रन्थों का अध्ययन।

जब आप पुरस्कार के लिये आवेदन करें तो यह सुनिश्चित करें कि आपने योग्यता मानदण्डों को पूरा करने के लिए आवश्यक सभी अभिलेख साक्ष्य के तौर पर प्रस्तुत कर दिए हैं।

सिंघल फाउण्डेशन प्रत्येक श्रेणी के विजेता चुनने के लिए एक उच्च गुणवत्ता युक्त, निष्पक्ष और गोपनीय चयन प्रक्रिया अपनाती है।
विजेताओं का निर्णय तीन चरणों की प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है।

  • प्रथम चरण में प्राथमिक स्तर आवेदनों की योग्यता और मापदण्डों के आधार पर समीक्षा की जाती है तथा योग्य आवेदनपत्रों को चुना जाता है।
  • द्वितीय चरण में वेदविशेषज्ञों की एक अनुशंसा समिति होती है। यह समिति समीक्षा किए गए आवेदनों (वेदविद्यार्थियों, वेदाध्यापकों और वेदविद्यालयों की पहचान को अज्ञात) की समीक्षा करती है तथा सम्भावित विजेताओं की छंटनी कर एक सूची बनाती है। यह छंटनी आवेदकों द्वारा आवेदनपत्र में प्रदत्त जानकारियों के आधार पर की जाती है। अतः आवेदनपत्र का पूरा और सही भरा जाना अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
  • इसके पश्चात् तृतीय चरण में वेदविशेषज्ञों की एक अन्य वरिष्ठ निर्णायक समिति (जूरी) बनाई जाती है। इस समिति में सभी वेदों के प्रतिष्ठित विशेषज्ञ होते हैं। अनुशंसा समिति द्वारा बनाई गई सम्भावित विजेताओं की सूची पर इस वरिष्ठ समिति द्वारा विचार किया जाता है। विजेताओं पर अपना अन्तिम निर्णय लेने से पूर्व वरिष्ठ निर्णायक समिति (जूरी) चयनित वेदविद्यालयों का निरिक्षण करती है तथा चयनित वेदाध्यापकों और वेदविद्यार्थियों से साक्षात्कार करती है।

भारतात्मा पुरस्कार के विजेताऔं के नामों की घोषणा पुरस्कार वितरण के समय ही की जाती है, तब तक विजेताओं के नामों को गोपनीय रखा जाता है।