नाम– श्री आर . वेंकटरमण घनपाठी

पिता– श्री डी.एच.रंगनाथ अय्यर

माता नाम– श्रीमती मीनाक्षी अम्माळ्

गुरुजी नाम– स्व. ब्रह्मश्री आर. एस. नारायण श्रौतिगल

जन्म स्थान– चेन्नई (मद्रास), तमिलनाडु

वर्तमान निवास– मल्लिकार्जुन नगर, मलकाजगिरि, हैदराबाद ( तेलंगाना )

श्री आर . वेंकटरमण घनपाठी कृष्ण यजुर्वेद के मूर्धन्य विद्वान हैं| वैदिक शिक्षा के आरम्भिक चरण में आपने ब्रह्मश्री सी. श्रीनिवास शास्त्रिगल और ब्रह्मश्री रामस्वामिशर्मा के सान्निध्य में कृष्ण यजुर्वेद का घनान्त अध्ययन किया। तत्पश्चात् आपने ब्रह्मश्री डोंगरे शास्त्री तथा ब्रह्मश्री सन्निदानम् लक्ष्मीनारायण अवधानी से वेदभाष्य एवं अन्य शास्त्रों का अध्ययन किया।

अध्ययनोपरान्त आपने वर्ष 1984 में कांचीकामकोटिपीठम् के प्रतिष्ठित श्री परमाचार्य के मार्गनिर्देशन में हैदराबाद में श्री शंकर गुरुकुल वेद पाठशाला की स्थापना की। तब से आप अनवरत वैदिक शिक्षण के क्षेत्र में कार्यरत हैं। इस गुरुकुल में देश के विभिन्न भागों से आए शताधिक विद्यार्थी ‘क्रमान्त’ तथा ‘घनान्त’ प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं तथा सम्प्रति 135 विद्यार्थी पाठशाला में अध्ययनरत हैं।

आपका वेदपाठ संरक्षण के क्षेत्र में अप्रतिम योगदान है तथा आपने स्तोत्रों को परम्परागत रूप से व्यवस्थित भी किया है । आपने अनेक स्तोत्रों की रचना तथा शास्त्रीय ग्रन्थों का प्रकाशन भी किया है। इस क्रम में ‘शतस्तोत्र रत्नाकर’ तथा ‘मूकपंचशती’ प्रमुख रूप से उल्लेखनीय हैं । श्री वेंकटरमण घनपाठी श्रीशंकराचार्य – गुरुकुल वेद पाठशाला , हैदराबाद के संस्थापक एवं व्यवस्थापक ट्रस्टी के रूप में प्रतिष्ठित हैं ।